न तो कोई समय खराब होता है और न ही कोई परिस्थिति। न कोई स्थान खराब होता है और न ही कोई घटना। चाहे ये कितने भी खराब क्यों न हों, इन सभी में कोई न कोई गुणवत्ता छिपी ही रहती है। यदि समय कठिन है, यदि परिस्थितियाँ विपरीत हैं, तो वे हमें लड़ना सिखाकर मजबूत बनाती हैं। सोचिए कि यदि भगवान राम को वनव
वीर शासक एवं महान देशभक्त महाराणा प्रताप का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित है। महाराणा प्रताप अपने युग के महान व्यक्ति थे। उनके गुणों के कारण सभी उनका सम्मान करते थे।ज्येष्ठ शुक्ल तीज सम्वत् (9 मई ) 1540 को मेवाड़ के राजा उदय सिंह के घर जन्मे उनके ज्येष्ठ पुत्र महाराणा प्रताप को बचपन से ह
ंशरीर बोझ है यदि बीमार है, मन बोझ है अगर उसे ज्ञान नहीं है। ’मैं शरीर हूँ’ इस अज्ञान के साथ जब हम जीते हैं तब वास्तव में नरक में ही जी रहे हैं। असली ’मैं’ को न जानने की वजह से और इसके प्रति जाग्रत न होने के कारण हमंे ऐसे लगता है कि शरीर के साथ होने वाली हर चीज मेरे साथ हो
अध्यात्म शास्त्रों में मन को ही बंधन और मोक्ष का कारण बताया गया है। मनोवेत्ता भी इस तथ्य से परिचित हैं कि मन में अभूतपूर्व गति, दिव्यशक्ति, तेजस्विता एवं नियंत्रण शक्ति है। इसकी सहायता से ही सभी कार्य होते हैं। मन के बिना कोई कर्म नहीं हो सकता। भूत, भविष्य और वर्तमान सभी मन में ही रहते हैं
सोते समय व उठते समय झटके से ना उठे अपितु आराम से उठे, सीधे लेटे।एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण व एक चम्मच शतावरी चूर्ण लेने से कमर दर्द में आराम मिलता है।गोखरू का चूर्ण पानी के साथ लेने से कमर दर्द में आराम मिलता है।पीठ के बल लेट
सेवा परमों धर्म ट्रस्ट ने जयपुर के एक निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ने वाले विकलांग बालक का वार्षिक शिक्षण शुल्क देकर उसके आगे के अध्ययन के मार्ग प्रशस्त किया हेै। ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री प्रशान्त अग्रवाल ने बताया कि धर्मेश माधीवाल ने पिछले वर्ष माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सैकण्डरी परीक्षा
प्रकाश की गति से भी तेज है मन की गति। मन की क्षमता तथा शक्ति हमारे तन की शक्ति से भी कई गुना बढ़ कर है। इसलिये तो कहा जाता है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत ये मन ही मनुष्य को मानव बनाता है। यही दानव बनाने की शक्ति भी रखता है। मन ही जीवन को स्वर्ग या न
शहद के गुण वहाँ के स्थान पर होने वाली फसल, होने वाले पेड़-पौधे, वृक्ष और लताओं के आधार पर होता है क्योंकि मधुमक्खियाँ वहाँ का रस लेकर ही शहद का निर्माण करती है। इसी कारण इनके रंग एवं गुणांे में भिन्नता पायी जाती है। शहद चैत्र या कार्तिक मास में ज्यादातर तोड़ कर इकट
हींग की हमारे भोजन में खास जगह है। अनेक व्यंजनों, अचार, चटनी आदि में तो इसका इस्तेमाल होता ही है, इसमें मौजूद कई पोषक तत्वों, एंटीआॅक्सीडेंट्स और एंअीबोयोटिक गुणों की वजह से यह संक्रामक बीमारियों की रेाकथाम में भी उपयोगी है।पेट की समस्याओं में कारगर गैस से राहत: गैस की समस्या में खाने के ब
पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोगों को गम्भीरता से लेना चाहिए। पशुओं में 250 से अधिक ऐसे रोग हैं, जो हवा-पानी के जरिये या रोगग्रस्त पशुओं के संपर्क में आने या उनसे जुड़े उत्पाद उपयोग में लेने से मनुष्यों में तीव्रता से फैलते हैं। पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान के उपनिदेशक डाॅ. राकेश पो