नारायण सेवा संस्थान में 53 विकलांग व निर्धन जोड़ों ने थामा एक दूसरे का हाथ उदयपुर। ’वे निःशक्त भले ही है, लेकिन समाज का अभिन्न हिस्सा है। इन्हें भी जिन्दगी का हर लम्हा खुशी से गुजारने का पूरा हक है।’ यह सन्देश दिया नारायण सेवा संस्थान में आयोजित 24वें निःशुल्क निःशक्त व निर्
हाथ या पैर का सुन्न हो जाना हममें से लगभग सभी ने अनुभव किया होगा। आइए जानें, क्यों हो जाते हैं शरीर के अंग सुन्न। शरीर का कोई अंग यदि किसी दबाव में ज्यादा समय तक रहता है तो वह सुन्न हो जाता है। वस्तुतः यह दबाव हाथ या पैर की नसांे पर पड़ता है। ये नसें कई एक कोशीय फाइबर से बनी हो
बीन बजाकर सांपों को नचाते सपेरे अक्सर देखे जाते हैं। सपेरे की बीन पर लहराते सांपों को देखकर ऐसा लगता है जैसे वे संगीत का पूरा आनंद उठा रहे हों। यह बात आश्चर्यचकित करती है, क्योंकि सांप अपना फन उठाकर झूमने लगते हैं। असल में सांपों के शरीर में छड़ी जैसी एक हड्डी होती है, जिसे कोलमेला आॅरिस कहते हैं
गाॅलब्लेडर (पिताशय) ही एक मात्र अंग है जिसमें पथरी होने पर पूरे अंग को ही निकालना पड़ता है।पिताशय पीत का संग्रहण करता है जो कि बहुत अम्लीय होने के बाद भी पिताशय की दीवारो को नुकसान नहीं पहुंचा पाता है।यकृत हमारे शरीर की सबसे बड़ी गं्र
काम कोई छोटा या बड़ा नहीं होता। दूसरों की सेवा करना, असहाय को सहारा देना, मानवता की दृष्टि से बहुत बड़े काम हैं। आपकी सेवा से किसी को सुख मिलता है, आराम मिलता है, शान्ति मिलती है, तो यह ईश्वर की ही सेवा है, ईश्वर की ही पूजा है, क्योंकि जिस आत्मा को, जिस जीवन को आपकी सेवा से सुख मिलता है- वह जीवन,
दृढ़ और बलवान् संकल्प शक्ति के कारण मनुष्य में ऐसी योग्यता और शक्ति आ जाती है कि कितनी भी कठिनाईयाँ क्यों न हो वह सबको पार कर जाता ह,ै कोई वस्तु उसको अपने उद्देश्य से नहीं रोक सकती बल्कि ऐसे पुरुषार्थी के लिए प्रकृति स्वयं काम करती है। इसी शक्ति के भरोसे पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह ने अटक नदी
अनचाही बातें जीवन में चींटी की रफ्तार से आती हैं इसलिए इंसान यह जान ही नहीं पाता कि ये चीजें उसकी तरफ धीरे-धीरे सरक रही हैं। वह हर दिन नकारात्मक बातों को देख-देखकर जितना ज्यादा उस पर ध्यान केन्द्रित करता है, उतनी ही नकारात्मक घटनाओं को उसके जीवन में प्रवेश पाने में आसानी होती है। इंसान सोचता है क
खुद ही को कर बुलन्द इतना कि हर तहरीर से पहले खुदा बंदे से यह पूछे बता तेरी रज़ा क्या है। इसी धरती पर कई लोगों ने अपनी जिजीविषा के ज़रिए यह सिद्ध करके दिखाया है कि यदि इच्छाशक्ति प्रबल हो, तो किसी भी सफलता को पाया जा सकता है। इन सभी लोगों के पास इस बात का बहाना बनाने के पर्याप्त
एड़ी का दर्द 30 वर्ष की उम्र के बाद शुरू हो जाता है क्योंकि ज्यादातर ऊँची एड़ी की सेण्डल व चप्पल पहनने वाली महिलाएँ अक्सर इस रोग से पीडि़त होती हैं। अति दुःख देने वाला रोग आवागमन के सारे रास्ते बंद कर देता है। तड़पन भरी सुबह औेर दःुखदायी शाम बना देता है। कारण:- ऊँची एड
विज्ञान के मुताबिक पृथ्वी की आंतरिक हलचल के कारण भूकंप आते हैं। प्राचीन ऋषियों, विद्वानों ने भी अनेक ग्रंथों में धरती के कंपन का उल्लेख किया है। कहते हैं कि जब राम-रावण का युद्ध हुआ, तो भूमि डोलने लगी थी। भूमि का डोलना शुभ नहीं माना जाता। ऐसा अनेक ग्रंथों में जिक्र आता है कि जब धरती