1. जागते रहें - दोबारा बिस्तर पर न जाएँ: कुछ समय तक जागने के बाद भी कई बार यह प्रलोभन मन में आ सकता है कि ‘बस एक मिनट के लिए बिस्तर पर लेट जाएँ।’ कभी भी इस प्रलोभन में न आएँ। नहीं तो हो सकता है कि हम न चाहते हुए भी सो जाएँ और हमारी सारी कोशिशों पर पानी फिर जाए। जागने का कारण या
लंका पर चढ़ाई करने की पूरी तैयारी हो गई। पुल बनाने का काम जोर-शोर से आरंभ हो गया। धीरे-धीरे पत्थरों की कमी होने लगी। हनुमान राम से बोले, “नाथ! आपकी आज्ञा हो तो मैं जाकर हिमालय पहाड़ का एक पर्वत खंड ही उठा लाऊं।” राम बोले, “हनुमान, मैं इस विषय में सोच ही
लाल बहादुर शास्त्री उन दिनों रेल विभाग में मंत्री थे। एक बार वे सरदार नगर में होने वालेएक सम्मेलन में जा रहे थे। रास्ते में जंगल पड़ता था। गौरी नाम के गाँव के पास कुछ लोगों ने उनकी मोटर रोक ली और कहने लगे, ‘‘एक गरीब किसान और की प्रसूति का समय निकट है। यदि उसे शीघ्र ही पास के शहर सरदार
सुगन्धित सुन्दर फूल किसे पसन्द नहीं ? फूलों को हम उनके सुन्दर आकार के साथ-साथ उनसे निकलने वाली खुशबू अथवा सुगंध के कारण भी पसंद करते हैं। फूलों में यह मन को प्रसन्न करने वाली भीनी-भीनी खुशबू कहाँ से आती हैं ? वास्तव में इसके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं। फूलों के अलावा धनिया व पोदीना के पत्तों तथा चन्
आईआईटी मुंबई के छात्र और पिछले वर्ष आईआईटी जेईई एडवांस के टाॅप करने वाले चित्रांग मुर्डिया को अमरीका की टाॅप यूनिवर्सिटी मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी (एमआईटी) में प्रवेश मिल गया है। एमआईटी नें चित्रांग के आईआईटी में अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए स्काॅलरशिप के साथ प्रवेश दिया है।
जम्मू-कश्मीर सरकार अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं को 24 घंटे मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करेगी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री चैधरी लाल सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य सेवा सुविधाएं प्रदान करने के लिए तैयारी कर लें। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दो जुलाई को
उदयपुर. स्क्रीजोफ्रेनिया रोग ऐसे मानसिक लक्षणों का समूह हैं, जिसमें ग्रसित व्यक्ति वास्तविक व अवास्तविक की पहचान करने में असमर्थ होता है। एक प्रतिशत जनसंख्या इस रोग से ग्रसित होती है। एमबी चिकित्सालय के मानसिक रोग विभागाध्यक्ष डाॅ. सुशील खेराड़ा के अनुसार रोगी में मतिभ्रम, आकरण वहम, विचारों में व
पाचन तंत्र (संस्थान)-शरीर के पोषण के लिए भोजन की आवश्यकता है, क्योंकि पोषण के लिए पोषक तत्व हमें अपने आहार से ही मिलते हैं। हम जो कुछ आहार के रूप में लेते हैं, उसी रूप में वह शरीर के लिए उपयोगी नहीं होता है। उसी रूप में 1-1 कोशिका उसे ग्रहण नहीं करती है। बल्कि भोजन के रूप में लिए गये
जीवन में कभी-कभी हम अपने लोगों से मिलते है, बैठते है और किसी विषय बिन्दु पर वार्तालाप चल पड़ता है कोई बात कहने में काफी समय लग जाता है, लेकिन अगर आपके पास कोई ऐसा दोहा या कविता की पंक्तियां हो तो आप अपने मन में भावों कोे दोहे की दो पंक्तियों में कह कर अपना मन्तव्य उजागर कर सकते है और आपके सामने आ
पूजा-पांठ करने और धार्मिक आयोजनों में शामिल होने से तनाव के स्तर में कमी आती है। बेलर युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की मानें तो इसका असर आॅफिस में इन्सान के प्रदर्शन पर भी दिखता है। वह न सिर्फ काम में ज्यादा मन लगा पाता है, बल्कि उत्पादन क्षमता बढ़ने से उसके प्रमोशन और वेतन-वृद्धि की संभावनाएं भी बढ़