भगवान बुद्ध प्रवृज्या पर निकले हुए थे। एक स्थान पर वे विश्राम करने के लिए रुके तो अपने साथ आ रहे भिक्षुओं को देखकर चिंता में पड़ गए। उनका अंतिम पड़ाव एक राजप्रासाद में था, जहाँ राजा ने सभी भिक्षुओं को बहुत से वस्त्र उपहार में दिए थे, जिन्हें सारे भिक्षु सिर पर गठरी के समान उठाए चल रहे थे। भिक्षुओ
बहुत गर्म भोजन, चाय तथा बहुत गर्म दूध पीना अथवा बहुत ठंडा भोजन, बर्फ या बर्फ पड़े पदार्थ खाना पेट को तो खराब करता ही है, इससे दाँत शीघ्र गिर जाते हैं। सोडा, वाटर लेमन हर कहीं पीने में भी सावधान रहना चाहिये।यदि तुम चाहते हो कि तुम्हारे दाँत सुदृढ़ रहें और पेट ठीक काम करे तो पान
झमाझम बारिश जहां सारी धरा को खूबसूरत बनाती है वहीं कई बीमारियों को आमंत्रित भी करती है। इन्हीं दिनों मच्छर का प्रकोप बढ़ता है और लोग मलेरिया के शिकार हो जाते हैं। यदि मच्छर जनित इस बीमारी से बचना हो तो सावधानी और घरेलू उपाय करें। मसलन इ
आजकल बच्चों में भी अस्थमा की समस्या आम हो चली है। स्वस्थ जीवनशैली बच्चों से अस्थमा को दूर रख सकती है। लेकिन विशेषज्ञों ने एंटी आॅक्सीडेंट से भरपूर ऐसे फलों और सब्जियों की पहचान की है जो दूसरी चीजों के मुकाबले बच्चों को अस्थमा से बचाने में अधिक सहायक हो सकती हैं। बच्चों को अस्थमा से बचाने में अधिक
आप कभी डाॅक्टर या वैद्य के पास गये हैं, तो प्रायः वे आपकी आंख, जीभ और नाखून भी देखते हैं। जीभ पर पीलापन होना भी एक बड़ी समस्या है। यह तब ज्यादा परेशान करती है जब आप धूम्रपान नहीं करते। धूम्रपान नहीं करते। नियमित ब्रश करते हैं तो भी आपकी जबान ऐसी पीली पड़ी कि जैसे पीला रंग रंग दिया हो, दरअस
भोजन जूठा छोड़ना एक सामाजिक अपराध है। यह अच्छी आदत नहीं है। जूठा छोडने से अन्न को अपमान होता है। इससे महंगाई बढ़ती है। पर्यावरण प्रदूषित होता है। लाखों लोगों के मुँह से निवाला छीनता है। इसके अतिरिक्त अनेक नुकसान होते हैं। बढ़ती है। पर्यावरण प्रदूषित होता है। लाखों लोगों के मुँह से निवाला छीनता है
भगवान बुद्ध ने जब बता दिया कि चार महीने बाद वह परिनिर्वाण प्राप्त कर लेंगे, तो विहार में रहने वाले भिक्षु व्यथित हो उठे। सभी की आंखों में आंसू थे। धम्माराम नामक भिक्षु न व्यथित हुआ और न रोया। वह उसी समय से गहरे ध्यान में खोया रहने लगा। सबसे मिलना जुलना बंद कर एकांतवास करने लगा। भिक्षु उससे पूछते,
आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं जिनके प्रयोग से स्वस्थ रहा जा सकता है। साथ ही इनसे कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते। आइए जानते हैं इनके बारे में। अडूसा: खांसी -जुकाम में लाभ। तरीका: अडूसा के 4-5 पत्तों को तुलसी के कुछ पत्तों, गिलोय के छोटे टुकड़े व लेमनग्रास के पत्तों के साथ कूटकर ए
सेठ लक्ष्मीचन्द के चार पुत्र थे, समय पूर्ण हुआ, परलोक गमन से पहले सबको बुला कर कहा-सुमति है, लक्ष्मी कृपा बनी है, मिल कर रहोगे-सदा सम्पन्न रहोगे और उनका शरीर शांत हो गया। समय आगे बढ़ा, कुमति आई-लक्ष्मी पूजा की भी उपेक्षा होने लगी, गृह कलह आ गई। माँ लक्ष्मी से देखा न गया, स्वप्न दिया-
नाक के अन्दर वाला भाग श्लेष्मा झिल्ली द्वारा आच्छादित होता है। झिल्ली से विशेष प्रकार का óाव निकलकर नाक की दीवारों को तर रखता है। इस भाग में रक्त कोशिकाएँ जाल की भाँति फैली होती हैं। इसके ऊपरी भाग में प्रथम कापालिक तंत्रिका (घ्राण तंत्रिका) की शाखा-प्रशाखाओं का जाल बिछा होता है। इसका संबंध