हम अक्सर अपने घरो में गेहूँ का चोकर छानकर बाहर निकाल फेंकते हैं परन्तु यही चोकर अद्वितीय प्राकृतिक औषधि भी है। आइए जानते हैं इसी गुणकारी चोकर के विषय में कुछ नजदीक से। भोजन को पचाए - गेहूँ का चोकर भले ही देखने में खुरदुरा-सा आभास होता हो, परन्तु यह चबाते समय
पन्नालाल गांव में खेती का काम कर अपने परिवार का भरण पोषण बडी मुश्किल से कर रहे हैं। पन्नालाल घर मे अकेला ही कमाने वाला है। अंजली को जन्म से ही श्वास फुलना, भुख नही लगना एवं लगातार बुखार आता रहता था। बच्ची को अपने गांव के डाॅक्टरों से भी जांच करवायी। लेकिन कोई लाभ नही हुआ। बच्ची को शहर के अस्पताल
जीवन कठोर नहीं सरल बनावें संसार में सफलता पाने का पहला गुर सबके साथ शालीन, विनम्र और मधुर व्यवहार करना है। किसी से अशिष्ट, अशालीन अथवा नुकसानदायक व्यवहार की अपेक्षा और आशंका के बावजूद भी स्वयं पर संयम रखना, अपनी उदारता, शिष्टता तथा शालीनता को
पेशियाँ दो प्रकार की होती हैं:- इच्छाधीन और स्वाधीन।स्वाधीन पेशियाँ स्वतः सिकुड़ती और फैलती हैं। इसलिए स्वाधीन पेशियों वाले अंगों मंे स्वतः गति उत्पन्न होती है।इच्छाधीन पेशियाँ हमारी इच्छानुसार काम करती हैं।इच्छाधीन पेशियों का बीच वाला भाग अपेक्षा
आलूबुखारे का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। कहते हैं कि एक कटोरा भर के फलों में जितने पौष्टिक तत्व पाए जाते है उतने ही एक आलूबुखारे में होते हैं। आलूबुखारा कई पोषक तत्वों और मिनरल्स से भरपूर होता है। इसमें विटामिन, कैल्शियम, मैगनीशियम, काॅपर, आयरन, पोटेशियम और फाइबर मौजूद होते हैं। आलूबुखा
मीठी तुलसी को वन तुलसी (तुलसा) या नियाजबो भी कहते हैं। यह हरे रंग का पौधा होता है और इसकी पत्तियां आकार में अन्य तुलसी की पत्तियों से काफी बड़ी वह हरे रंग की होती हैं। इसके फूल गुच्छों में लगते हैं जो सुगंधित व हरे बैंगनी रंग के होते हैं। यह एंटीबायोटिक और एंटीवायरल होती है। इसकी 4-5 पत्तियां खान
प्यासा मनुष्य अथाह समुद्र की ओर यह सोचकर दौड़ा कि जी भर अपनी प्यास बुझाऊँगा ! वह किनारे पर पहुंचा और अंजलि भरकर जल मुंह में डाला किन्तु तत्काल ही उगल दिया। प्यासा सोचने लगा कि नदी, समुद्र से छोटी है, किन्तु उसका पानी मीठा है। समुद्र नदी से कई गुना विशाल है पर उसका पानी खारा है। कुछ ही क्षणों बाद
संत और पुलिस, दोनों ही, समाज-सुधार का काम करते हैं। फर्क केवल इतना है कि संत ’संकेत’ की भाषा में समझाते हैं, और पुलिस ’बेत’ की भाषा में। दरअसल, जो संत के संकेत को नहीं समझते हैं, उन्हें ही पुलिस के बेंत की जरूरत पड़ती है। पुलिस की वर्दी किसी संन्यासी के भगवा वस़्त्रों से क
कहते हैं आपके अक्षर आपकी छवि बनाते हैं। आपके व्यक्तित्व को दर्शाते हैं यानी आप जो लिख रहे हैं उसमें भी बहुत कुछ आपके व्यवहार, विचार और भविष्य की अनंत गहराइयां छिपी रहती हैं। आप किस तरह लिखते हैं ये बात बहुत मायने रखता है। दरअसल लिखने का संबंध हमारी सोच से होता है यानी हम जो सोचते हैं, करते हैं, ज
कौन कर सकता हैरक्तदाता बनने की लिए 18 वर्ष उम्र और वनज 45 किलो होना जरूरी है।'रक्तदान के दिन धूम्रपान और शराब सेवन वर्जित है। रक्तदाता निरोगी होना चाहिए। कौन नहीं कर सकताएनीमिया रोगी अर्थात ह