मथुरा और वृ्न्दावन में भगवान श्री कृ्ष्ण से जुडे अनेक धार्मिक स्थल है। किसी एक का स्मरण करों तो दूसरे का ध्यान स्वतरू ही आ जाता है। मथुरा के इन्हीं मुख्य धार्मिक स्थलों में गिरिराज धाम का नाम आता है सभी प्राचीन शास्त्रों में गोवर्धन पर्वत की महिमा का वर्णन किया गया है।
एक बार महर्षि वशिष्ठ महर्षि विश्वामित्र के आश्रम में गए। महर्षि विश्वामित्र ने वशिष्ठ का बड़ा स्वागत - सत्कार और आतिथ्य किया। जब वशिष्ठ जी चलने लगे तो विश्वामित्र ने उन्हें अपनी दस वर्ष की तपस्या का पुण्यफल उपहास्वरूप भेंट किया। बहुत दिनों बाद संयोगवश विश्वामित्र जी महर्
रहिमन देख बड़ेन को लघु न दीजिये डार। जहाँ काम आवे
अम्मा हुईं आज बीमार, लगा आफतों का अंबार। सबको चाय पिलाए कौन, रोटी आज बनाए कौन। पापा को आॅफिस जाना, लंच पैक भी ले जाना। बैठे सर पर हाथ धरे, सबके मुंह उतरे-उतरे। ब्रेक फास्ट ना बन पाया, मैं शाला ना जा पाया। गुड़िया की है लाचारी, कौन कराए तैयारी। पर उसने हिम्मत बांधी, उठी च
गर्मियों में हमारे शरीर को पानी की सख्त जरुरत होती है क्योंकि शरीर से काफी मात्रा में पानी और तरल हमारे शरीर से पसीने के रूप में बाहर निकलता है और यह हमारे शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने का ही एक जरिया है इसलिए गर्मी का एक फायदा भी है कि हमे चूँकि तरल पदार्थो की
‘कुछ लोग प्रतिभा और ज्ञान की कमी से कभी नहीं हारते, बल्कि जीतने से पहले ही हार स्वीकार कर लेते है।’’ ‘‘इस पथ का उद्देश्य नहीं है, शान्त भवन में टिक रहना। लेकिन पहुँचन
हकलाना, तुतलाना - बच्चों का हकलाना, आँवला चबाने से ठीक हो जाता है, जीभ पतली होकर आवाज साफ आने लगती है, एक चम्मच पिसा हुआ आँवला घी में मिलाकर नित्य चाटतें रहे। तुतलाना ठीक हो जाएगा। नित्य 2 बादाम भिगोकर, छीलकर, पीसकर, आधी छटाँक (31ग्राम)
खूबसूरत और हैंडसम दिखने के लिए आज के नौजवान अपने बालों पर कई तरह के प्रयोग करते रहते हैं। अगर आप भी ऐसा करते है तो सावधान हो जाएं। इससे आपके बालों को नुकसान पहुंच सकता है। बालों की समस्या आजकल आम होती जा रही है, लेकिन कुछ बातों और हेयर स्पा को अपना कर बालों को सहतमंद रख
कहा जाता है कि आदमी को खुश करने का रास्ता उसके पेट में से जाता है। अतः हर गृहणी को ‘भोजन की थाली कैसे पेश की जाए’ इस बात का समुचित ज्ञान होना जरूरी है। आइए देखते है कि भोजन की थाली कैसे पेश की जानी चाहिए। यह बात कदापि जरूरी नहीं है कि जब तक भोजन की थाली में
अकसर यह सवाल सबके मन में आता है कि भगवान श्रीकृष्ण के भांजे और अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु महाभारत के युद्ध में सबसे पहले वीरगति को क्यों प्राप्त हुए ? इसके पीछे एक रोचक कथा है। इसी कथा में यह भी पता लगता है कि किन देवताओं और राक्षसों ने नया जन्म लेकर महाभारत का युद्ध लड़ा।