अच्छा स्वास्थ्य अच्छे पाचनतंत्र की देन है। हम जो भी खाना खाते हैं, उसे सही रूप से शरीर में पहुंचाने का काम हमारा पाचन तंत्र ही करता है। पाचन तंत्र खाने को ऊर्जा के रूप में बदल कर शरीर को पोषण और शक्ति प्रदान करता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। पाचन तंत्र में गड़बड़ी होने से ह
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को काशी के असीघाट, वाराणसी में हुआ था। इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम ’भागीरथी बाई’ था। इनका बचपन का नाम ’मणिकर्णिका’ रखा गया परन्तु प्यार से मणिकर्णिका को ’मनु’ पुकारा जाता था। मनु जब मात्र चार साल क
एलोरा गुफायें - यह स्थान महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इसमें पत्थर को काटकर बनाई गई 34 गुफाएं स्थित हैं। फतेहपुर सीकरी - यह स्थान आगरा से 23 मील की दूरी पर स्थित है। इसकी स्थापना 1569 में अकबर ने की थी। य
आहार संबधी निर्देश 1. पोषण की दृष्टि से विभिन्नप्रकार के खाद्य - पदार्थो में से बुद्धिमता पूर्ण चयन करके पर्याप्त आहार खाना चाहिए। 2. गर्भवती तथा पयस्विनी माताओं का अतिरिक्त भोजन तथा विशेष देखभाल करने की आवश्यकता होती है।
उदयपुर। नारायण सेवा संस्थान में स्वाधीनता दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया। हिरण मगरी स्थित मानव मन्दिर पर संस्थापक-चेयरमैन श्री कैलाश ’मानव’ ने तथा अंकुर परिसर में अध्यक्ष श्री प्रशान्त अग्रवाल ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस अवसर पर निदेशक श्रीमती वन्दना अग्रवाल के निर्देशन में आयोजि
सर्दी के कारण दुनिया भर में लोग परेशान रहते हैं। इस साधारण बीमारी का कोई कारगर इलाज अब तक नहीं खोजा जा सका है। दरअसल, वायरस की सैकड़ों नस्लों के कारण सर्दी फैलती है। ये वायरस रीनोवायरस परिवार के हैं। आमतौर पर फ्लू वायरस की केवल तीन या चार नस्ल सक्रिय रहती हैं लेकिन रीनोवायरस की
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में हर बीमारी का इलाज है। कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनका आयुर्वेद में स्थायी इलाज है। आयुर्वेद की सहायत से कई भयंकर बीमारी को स्थायी रूप से दूर किया जा सकता है। आयुर्वेद में खांसी का उपचार भी मौजूद है। आइए जानें आयुर्वेद में खांसी के उपचार के बारे में। तीन हफ्ते से ज्यादा खा
मुलेठी का चूर्ण या काढ़ा बनाकर उसका प्रयोग एसिडिटी रोग को नष्ट करता है।नीम की छाल का चूर्ण या रात में भीगाकर रखी छाल का पानी छानकर पीना रोग को शांत करता है। अम्लपित्त (एसीडीटी) रोग में तरल पदार्थ (माइल्ड लेक्सेटिव) देना चाहिए।इस हेतु त्रिफला का प्रयोग या दूध के साथ
घर में लगाए जाने वाले छोटे पौधों में कई पौधे ऐसे होते हैं जिनका औषधीय महत्व है। साथ ही उनका रसोई या सौंंदर्यवद्र्धन संबंधी महत्व भी है। आज के समय में स्थान के अभाव में प्राय: लोग गमलों में ही पौधे लगाते हैं या लॉन तथा ड्राइंगरूम में सजाकर रख देते हैं। इन पौधों एवं लताओं की वजह से छोटे फ
दूध जहां कैल्शियम से भरपूर होता है वहीं दूसरी तरफ हल्दीस में एंटीबायोटिक होता है। दोनों ही आपके स्वाीस्य्और के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। और अगर दोनों को एक साथ मिला लिया जाये तो इनके लाभ दोगुना हो जायेगें