गौतम को ऐसी अनुभूति हुई जैसे हजारों योनियों के कारागार से मुक्ति मिल गई हो। इस कारागार का द्वारपाल था अज्ञान। इस अज्ञान के कारण ही उनका चित्ताकाश तिमिराच्छन्न था। ठीक वैसे ही जैसे झंझावात में सघन मेघों से चन्द्रमा और तारे छिप गए थे। अज्ञान में डूबे विचारों की असंख्य लहरों से वास्तविकता का सत्य, क
’शब्द’ ये शब्द ही तो हैं, जो हमें किसी के भी पास कर सकते हैं और चाहे तो किसी से भी दूर। इन शब्दों में बड़ी ताकत है। ये किसी के मन को शीतलता प्रदान कर सकते हैं, तो किसी के मन को भस्म तक कर सकते हैं। इस ’शब्द’ की व्याख्या करते हुए कबीर दास ने कहा है - ’शब्द’ शब्द
सभी जानते हैं कि मनुष्य एक बहुकोशीय प्राणी है। रचना तथा कार्य में कोशिकाएं एक-दूसरे से भिन्न होती है। एक प्रकार की कोशिकाएं, एक ही प्रकार का कार्य करती है और एक ही वर्ग के ऊतकों जैसे-हड्डी, उपास्थि, पेशी आदि का निर्माण करती है। संक्षेप में ‘समान रचना तथा समान कार्यों वाली कोशिकाओं के समूह क
यूनान में आल्सिबाएदीस नामक एक बहुत बड़ा संपन्न जमींदार था । उसकी जमींदारी बहुत बड़ी थी । उसे अपने धन-वैभव एवं जागीर पर बहुत अधिक गर्व था । वह इसका वर्णन करते हुए थकता नहीं था । एक दिन वह प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात के पास जा पहुँचा और अपने ऐश्वर्य का वर्णन करने लगा । सुकरात उसकी बातें कुछ देर तक सुनते
अपने आप को आश्वस्त करें-अपनी चिंताओं से बेफिक्र होकर उनका सामना करना शुरू करें। आप ऐसा क्यों महसूस कर रहे हैं और आपके भीतर का डर क्या है इसे समझें और आत्मविश्लेषण करें। फिर अपने आप को गले लगाने का आभास करके अपने आप से कहें कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। चिंता बढ़ने की अवस्था में ऐसा कहें कि स्थिति उतनी ब
अलग- अलग वारों के अनुसार प्रदोष व्रत के लाभ प्राप्त होते है। जैसे रविवार के दिन त्रयोदशी पडने पर किया जाने वाला व्रत आरोग्य प्रदान करता है। सोमवार के दिन जब त्रयोदशी आने पर जब प्रदोष व्रत किया जाने पर, उपवास से संबन्धित मनोकमाना की पूर्ति होती है। जिस मास में मंगलवार के दिन त्रयोदशी का प्रदोष व्र
किस्मत और हालात बदलते देर नहीं लगती। मुश्किल तब आती है, जब समय अच्छा न चल रहा हो। बुरे हालात हमें कमजोर और निराशावादी बना देते हैं। अगर मुश्किल हालात में आप कुछ बातों की गांठ बांध लें, उन्हें अपने जिंदगी में उतार लें तो आपकी जिंदगी पूरी तरह बदल सकती है। मानसिक रूप से ये निर्णय लें
एक बुजुर्ग ने अमेरिका मे अपने बेटे को फोन किया और खबर दी, ’मैं सुबह-सुबह तुम्हारा मूड खराब करना नहीं चाहता, पर मुझे यह बताना जरूरी लगा कि मैं ओर तुम्हारी मां 35 साल के साथ के बाद एक-दूसरे से अलग हो रहे हैं। अब दुख और सहन नहीं होता।’ पिता ने कहा, ’अब हमें एक-दूसरे को देखना भी दूभ
आखिर क्यों होते है माला में 108 मोती पहला कारण है सूर्य की कलाए :-
जब भी हम कोई शुभ कार्य आरंभ करते हैं, तो कहा जाता है कि कार्य का श्री गणेश हो गया। इसी से भगवान श्री गणेश की महत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जीवन के हर क्षेत्र में गणपति विराजमान हैं। पूजा-पाठ, विधि-विधान, हर मांगलिक- वैदिक कार्यों को प्रारंभ करते समय सर्वप्रथम गणपति का