तुलसी के पौधे को हम बहुत पवित्र मानते हैं तथा उसकी पूजा करते हैं। आयुर्वेद में भी तुलसी को संजीवनी बूटी मान कर कई बीमारियों का इलाज बताया गया है। कहा जाता है कि जहां तुलसी का पौधा होता है वहां कोई बीमारी नहीं आती और न ही बुरे ग्रहों का असर होता है। परन्तु क्या आप जानते हैं कि तुलसी के पौधे के साथ
महर्षि वेदव्यास जब महाभारत को लिपिबद्ध करा रहे थे तो उस पूर्ण अवधि में गणेश जी ने एक बार भी अपना मौन भंग नहीं किया। महाभारत लिपिबद्ध हो जाने के बाद महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी से उनके इस वाक्संयम का कारण पूछा तो गणेश जी बोले - “महर्षि ! वाणी का संयम ही मन को एकाग्र रखने का एकमात्र साधान है।
एक नौजवान व्यापारी अपनी लगन और कठोर परिश्रम के चलते शहर का सबसे धनी और सम्मानित व्यक्ति बन गया, लेकिन धीरे-धीरे वह घमंडी और लापरवाह हो गया, उसे व्यापार में घाटा हुआ और वह कर्जदार हो गया। एक दिन हताश और निराश एक पार्क में बैठा था। वहां एक बुजुर्ग ने उसकी चिंता का कारण पूछा। उसने अपनी पूरी स्थिति ब
एक समय में एक शक्तिशाली राजा राज्य करता था। एक झील उसके महल के चारों ओर फैली थी, साथ ही वहां एक सुंदर बाग भी था। उस झील में बहुत से सुनहरे हंस रहा करते थे। एक दिन एक बड़ी-सुनहरी चिड़िया उड़ती हुई उस झील तक आ पहुंची और पेड़ की डाल पर बैठकर चहचहाने लगी, वह झील में डेरा डालने की सोचने लगी, लेकिन हंसों स
एक बार एक राजा के मंत्री ने चाहा कि राजा को सिद्ध करके दिखाए कि विचार कितने शक्तिशाली होते हैं, अतः उसने राजा से कहा कि जब अमुक व्यक्ति उनकी ओर आये तो वे (राजा) उस आदमी के बारे में बुरा सोचते रहें। राजा ने बीरबल की बात मानी और मन ही मन अपनी ओर आते व्यक्ति के बारे में बुरा सोचते रहे। जब वह व्यक्ति
वो लोग जो जिम्मेदारी लेते हैं, वो अक्सर प्रार्थना नहीं करते और जो प्रार्थना करते हैं वो जिम्मेदारी नहीं लेते। अध्यात्म एक ही समय में दोनों को एक साथ लाता है। सेवा, सर्विस और अध्यात्मिक अभ्यास एक दूसरे से जुड़ता हुआ आगे बढ़ता है आप अध्यात्म की गहराई में जितना जाते हैं, आप उतना ही अधिक इससे मिलने वाल
किसी वृद्ध और किसी युवा में कोई मौलिक अंतर नहीं होता, क्योंकि दोनों अपनी ही आकांक्षाओं और परितुष्टिओं के दास होते है। परिपक्वता का आयु से कुछ लेना-देना नहीं होता है। वह तो सूझबूझ से आती है। युवाओं मे जिज्ञासा की उत्कंठ भावना शायद बहुत सहज रूप मंे होती है, क्योंकि वयोवृद्ध लोगों का तो जीवन चूर-चूर
वर्षा का ज्यादातर पानी सतह की सामान्य ढालों से होता हुआ नदियों से मिल कर सागर में होम हो जाता है। वर्षा का यह बहुमूल्य शुद्ध जल यदि भूमि के भीतर पहुँच सकता तो बैंकिंग प्रणाली की तरह कारगर होता यानी कि जमा पर ब्याज का लाभ भी प्राप्त किया जा सकता था। भूमिगत जल मानसून के बाद भी मृदा की नमी बनाये रखत
गीताजी के चौथे अध्याय के ग्यारहवें श्लोक की दूसरी पंक्ति में श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘लोग भिन्न-भिन्न मार्गों द्वारा प्रयत्न करते हुए अंत में मेरी ही ओर आते हैं।‘‘पंथ‘ अर्थात मार्ग, रास्ता, सड़क, रोड, जो मंजिल तक पहुंचाता है। यहां मंजिल है-धर्म। अब तक की मुख्य और मनोवैज्ञानिक च
अक्सर बुजुर्ग लोग शिकायत करते हैं कि उन्हें नींद कम आती है। कम से कम आधे उम्रदराज लोग नींद की परेशानी का सामना करते हैं। एक तिहाई से एक चैथाई बुजुर्ग नींद न आने से परेशान होते हैं। बुजुर्गों को नींद की ये दिक्कत दो तरह से परेशान करती है। रात होते ही वो सो जाते हैं। फिर तडके उनकी नींद खुल जाती है।