भोजन न सिर्फ हमारी भूख मिटाता है, बल्कि यह हमारे मन, शरीर एवं आत्मा का भी पोषण करता है, एवं सिर्फ जीवित रहने के लिये भोजन करना पर्याप्त नहीं है हम अपने जीवन में संतुलन, खुशी एवं परमानंद की प्राप्ति के लिये प्रयास करते हैं एवं भोजन चेतना की इस अवस्था को प्राप्त करने में एक प्रमुख कारक है इसलिये यह
दोहावली राम नाम निज मूल है, कहै कबीर समुझाय।
हरि सुमिरन अवसर पाकर गुनगुना, हरि सुमिरन में झूम।
आओ आज हम सेवा के माध्यम से ज्ञान को हासिल करें। जिसके प्राप्त हो जाने पर, इस धरती पर सत्कार्यों के माध्यम से स्वर्गिक सुख की प्राप्ति होती है। राम हमारे हृदय में, मर्यादा आचरण में, हमारा देह ही देवालय हो। अपने पुरुषार्थ से ही हम पुरुषोत्तम होने का प्रयास करें तो हमें पता चलेगा कि अयोध्या हमारी है
एक बार कुछ वैज्ञानिकों ने एक बड़ा ही रोचक प्रयोग किया। उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से पिंजरे में बंद कर दिया और बीचों-बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे। जैसी कि उम्मीद थी, जैसे ही एक बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी वो उन्हें खाने के लिए दौड़ पड़ा। पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं, उस पर ठण्डे प
अंधी भजन लेखिका फैनी की आँखें जन्म से तो बहुत सुन्दर थीं, पर आँखों की बीमारी के कारण रोशनी चली गई। माँ ने बहुत इलाज करवाये पर सफलता नहीं मिली। निराशा छोड़कर माँ ने उसे बाइबिल याद करवा दी। फैनी धीरे-धीरे कविता बनाने लगी। एकान्त में चुपचाप बैठती, हवा का संगीत, पानी का कल-कल, पक्षियों का कलरव सुनती थ
न्याय को कोई मित्र एवं स्वजन नहीं होता और मित्रों के पक्ष में न्याय कभी विचलित भी नहीं होता। मित्रों को झुकता तौलना या किसी भी प्रकार की रियायत देना न्याय के स्वभाव में नहीं है। न्याय शुरू से ही रूखे स्वभाव का रहा है। न्याय जब कसौटी पर चढ़ता है तब उसकी मुस्कान समाप्त हो जाती है। गम्भीर चेहरा ही न्
इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश को दीप दर्शन कराना चाहिए साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया । दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम् ।। भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने ।
पुन्य प्रीति पति प्रापतिउ परमारथ पथ पाँच। ललहिं सुजन परिहरहिं खल सुनहु सिखा
रियासत काल की बात है। एक महारानी को एक दिन नदी-विहार की सुझी। आदेश मिलने की देर थी, तत्परता के साथ उपवन में व्यवस्था की गई। महारानी ने जी भर विहार का आनन्द लिया। दिन ढलने लगा और शीतल हवाएं चली तो महारानी को सर्दी अनुभव हुई, उन्होंने सेविकाओं को अग्नि का प्रबन्ध करने का आदेश दिया। सेविकाओं ने काफी