तमोगुण को अपने पर हावी न होने दें

Posted on 08-May-2015 12:53 PM




इंसान की असफलता के पीछे जिस बुराई का सबसे बड़ा हाथ होता है, वह है तम, तमोगुण। तमोगुण यानी आलस्य, सुस्ती, अति निद्रा, तंद्रा.......। एक सुस्त इंसान देख रहा होता है कि सब काम पड़े हैं, यह होना है, वह होना है...... बिस्तर छोड़कर उठना है मगर उस पर ऐसी सुस्ती हावी रहती है कि वह चाहकर भी उठ नहीं पाता है। तमोगुणी की विचारधारा इस तरह की होती है कि जब बिना कुछ किए ही काम चल रहा है तो क्यों बेवजह शरीर को कष्ट दिया जाए। वे हर काम से बचने के कारण और बहाने ढूँढ़ लेते हैं। तमोगुण की अधिकता होने पर हमारे सिस्टम में कुछ अतिरिक्त विकार भी प्रवेश कर जाते हैं। जैसे बात-बात पर झूठ बोलना, आराम में व्यवधान पड़ने पर क्रोध, चिड़चिड़ापन आना, शरीर का निष्क्रिय होकर बीमारियों से घिर जाना, समय से काम पूरे न होने पर असफलताओं का मिलना जिस कारण जीवन में दुःख और दरिद्रता का आना आदि। आपके भीतर छिपा अतिरिक्त तमोगुण न सिर्फ सांसारिक उन्नति में बाधा बनता है बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति में भी बहुत बड़ी रुकावट है क्योंकि यह आपको ध्यान में नहीं बैठने देता। यह विचारों और कोरी कल्पनाओं को चलायमान रखता है। तमोगुणी वृत्ति संस्कार में आ जाती है, जिस कारण से यह न सिर्फ पृथ्वी के जीवन (पार्ट वन) पर नकारात्मक असर डालती है बल्कि मृत्यु उपरांत जीवन (पार्ट टू) मंे भी आपके साथ बनी रहती है। इसलिए आपको इसी जीवन में सुस्ती से मुक्ति के उपाय करने होंगे ताकि इस जीवन के साथ-साथ आगे की यात्रा में भी बाधा न आए।


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