कालजयी कवि जयशंकर प्रसाद

Posted on 02-May-2015 11:30 AM




कवि जयशंकर प्रसाद हिन्दी के श्रेष्ठ कवियों में गिने जाते हैं। छायावादी कवियों में प्रसाद का नाम बहुत ही ऊँचा है। उनके काव्य में छायावादी युग की सभी प्रवृत्तियों का बड़ा सफल अंकन हुआ है। उन्होंने अपने काव्य को सौन्दर्य एवम् प्रेम से विभूषित कर आकर्षक बना दिया है।
    जीवन परिचय: कविवर जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् 1889 में वाराणसी में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम देवीप्रसाद था। काशी के प्रसिद्ध क्वींस काॅलेज में वे पढ़ने गए परंतु परिस्थितियाँ अनुकूल न होने के कारण वे आठवीं से आगे नहीं पढ़ सके। उन्होंने बाद में घर पर ही संस्कृत, हिंदी, फारसी का अध्ययन किया।
    निधन: जयशंकर प्रसाद का निधन सन् 1937 में हो गया।
    साहित्यिक परिचय:- उनकी प्रमुख काव्य-कृतियाँ- चित्राधार, झरना, कानन-कुसुम, आँसू, लहर और कामायनी हैं। आधुनिक हिंदी की श्रेष्ठतम काव्य-कृति कामायनी पर उन्हें मंगलाप्रसाद पारितोषिक मिला है। वे कवि होने के साथ-साथ सफल गद्यकार भी थे। अजातशत्रु, स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त और ध्रुवस्वामिनी उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। कंकाल, तितली, और इरावती उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं। आकाशद्वीप, इंद्रजाल और आँधी उनके कहानी संग्रह हैं।
    साहित्यिक विशेषताएँ: प्रसाद जी के साहित्य में जीवन की कोमलता माधुर्य है और साथ ही साथ शक्ति और ओज भी है। छायावादी कविता की अतिशय काल्पनिकता और सौंदर्य के अति सूक्ष्म चित्रण के साथ-साथ प्रकृति-प्रेम,देश-प्रेम और शैली की लाक्षणिकता उनकी कविता की प्रमुख विशेषताएँ रही हैं। इतिहास और दर्शन में उनकी गहरी रुचि उनके साहित्य में स्पष्ट दिखाई देती है। प्रसाद की भाषा अत्यन्त सशक्त है। संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली का परिपक्व रूप उनकी रचनाओं में मिलता है। उनके काव्य में सौन्दर्य, यौवन, प्रेम, विरह एवम् वेदना का सुन्दर चित्रण हुआ है।


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