05-May-2015
अद्यात्म

भगवान का मन - नारदजी (अद्यात्म)

देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते है। शास्त्रों में इन्हें भगवान का मन कहा गया है।  इसी कारण सभी युगों में, सब लोकों में, समस्त विद्याओं में, समाज के सभी वर्गों में नारदजी का सदा से प्रवेश रहा है। मात्र देवताओं ने ही नहीं, वरन् दानवों ने भी उन्हें सदैव आदर


04-May-2015
अद्यात्म

कपिलवस्तु का राजकुमार (अद्यात्म)

कपिलवस्तु यह श्रावस्ती का समकालीन नगर था। यहाँ पर शाक्य-राजा शुद्धोधन की राजधानी थी जो गौतम बुद्ध के पिता थे। परंपरा के अनुसार वहाँ कपिल मुनि ने तपस्या की, इसीलिये यह कपिलवस्तु (अर्थात् महर्षि कपिल का स्थान) नाम से प्रसिद्ध हो गया। नगर के चारों ओर एक परकोटा था जिसकी ऊँचाई अठारह हाथ थी। गौतम बुद्ध


04-May-2015
अद्यात्म

भगवान बुद्ध ने दिए दुःख निरोध के आठ सूत्र (अद्यात्म)

पहला, सम्यक दृष्टि अर्थात् जैसा है, वैसा ही देखना अपनी धारणाओं को बीच में लाकर नहीं देखना। आँख निर्दोष हो जैसे दर्पण खाली हो, यदि दर्पण पर धुल पड़ी हो कोई रंग लगा हो तो कोई पक्ष पड़ा हो तो जैसा सत्य है, वैसा दिखाई नहीं पड़ता। सम्यक दृष्टि का अर्थ है सभी दृष्टियों से मुखत निष्पक्ष। दूसरा सू


02-May-2015
अद्यात्म

गंगा पुत्र भीष्म (अद्यात्म)

महाभारत के आदिपर्व में वर्णित वह कथा अत्यंत रोमांचकारी है। आठ वसुओं ने माता गंगा से प्रार्थना कि उन्हें शापवश धरती पर जन्म लेना होगा। अतः वे उन्हें स्त्री रूप में जन्म देने का अनुग्रह करें। गंगा ने उन्हें वचन दिया कि वे आठ वसुओं को जन्म देकर उन्हें शीघ्र ही उस शरीर से छुटकारा दिलाने के लिए जल में


01-May-2015
अद्यात्म

श्री कृष्ण ही आकर्षण का केन्द्र (अद्यात्म)

’कृष्ण’ का मतलब जो सबसे अधिक आकर्षक है - वह शक्ति जो सब कुछ अपनी ओर खींचती है। कृष्ण वह निराकार केन्द्र है जो सर्वव्यापी है। कोई भी आकर्षण, कहीं से भी हो, कृष्ण से ही है। प्रायः व्यक्ति आकर्षण के मूल सत्व को नहीं देख पाते और बाहरी आवरण में उलझे रहते हैं। और जब तुम बाहरी आवरण को


01-May-2015
अद्यात्म

प्रदोष व्रत (अद्यात्म)

हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला होता है। माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेवजी कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। जो भी लोग अपना


30-Apr-2015
अद्यात्म

हमारा भोजन कैसा हो (अद्यात्म)

भगवान श्री कृष्ण ने गीता में भोजन के बारे में विस्तार से चर्चा की हैं कैसा भोजन करने से हमारे भीतर कैसा वातावरण बनता है। एक किवदन्ती में कहा गया हैं कि .... जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन।     भगवान श्रीकृष्ण बताते है कि प्रत्येक व्यक्ति को भोजन भी अपनी अपनी प्रकृति के अनुसार


29-Apr-2015
अद्यात्म

मोहिनी एकादशी (अद्यात्म)

वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि यह तिथी सब पापों को हरनेवाली और उत्तम है। इस दिन जो व्रत रहता है उसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल तथा पातक समूह से छुटकारा पा जाते हैं। इस तिथि और व्रत के विषय में एक कथा कही जाती है। सरस्वती नदी के रमणीय


27-Apr-2015
अद्यात्म

शिव आराधना (अद्यात्म)

ऊँ नमः आराधे चात्रिराय च नमः शीघ्रयाय च शीभ्याय च । नमः ऊम्र्याय चावस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च ।। इस मंत्र के द्वारा भगवान भोलेनाथ को  दीप दर्शन कराना चाहिए  मित्रवर अर्जुन से भगवान् श्रीकृष्ण कहते हंै स एवायं मया तेऽद्य योगः प्रोक्त


27-Apr-2015
अद्यात्म

जहां हानि की संभावना न हो वहां परिचय कर लेने में कोई नुकसान नही (अद्यात्म)

 हनुमान जी को सीता का पता लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी। अनेक बाधाओं को पार करते हुए हनुमान जी सूक्ष्म वेश धरकर रात में चुपचाप राक्षसों की नगरी लंका में प्रवेश करते हैं। वहाँ उन्हें तरह-तरह के ऐसे विचित्र और वीभत्स दृश्य दिखाई पड़ते हैं, जिनके बारे में तुलसीदास जी लिखते हैं कि ‘कहि जात