05-May-2016
सम्पादकीय

आत्मविश्वास ही है सफलता का साधन (सम्पादकीय )

साहस से आशय उस आंतरिक शक्ति से है, जो किसी व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। साहस को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्व हैं एहसास, दृष्टिकोण और भावना। साहस समृद्धि की राह बनाता है और साहस बिना सफलता प्राप्त नहीं हो सकती। साहस हेतु मनुष्य में तत्परता, सतर्कता, उद्


23-Oct-2015
सम्पादकीय

सम्पादकीय 23 अक्टूबर (सम्पादकीय )

एक बार देवताओं ने विष्णु भगवान से कहा ‘‘हमें स्वर्ग से भी किसी अच्छे लोक में भेज दीजिये... विष्णु ने उन्हें मनुष्य लोक भेज दिया और कहा कि वहांँ ’’सुख और सौंदर्य तभी दृष्टिगोचर होगा, जब तुम लोग करूणा जीवित रखोगे और सेवाधर्म का रसास्वादन करोगे।’’ देवताओं न


15-Sep-2015
सम्पादकीय

सम्पादकीय 15 सितम्बर (सम्पादकीय )

विचार, एक ऐसा शब्द जो कि हर व्यक्ति के जीवन में उसके लिए अहम महत्व रखता है। विचारों में एक ऐसी असीम शक्ति होती है जो उसे कहीं भी ले जाने का साहस रखती है। हर व्यक्ति के विचार अलग-अलग होते हैं। यह व्यक्तियों के विचार ही हैं जो व्यक्ति के जीवन के हर पहलू को प्रभावित करते हैं। यदि हम अच्छे विचारों को


07-Sep-2015
सम्पादकीय

सम्पादकीय 07 सितम्बर (सम्पादकीय )

जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना हमारा सर्वप्रथम कत्र्तव्य है। शरीर को निरोग रखिए। इसकी शक्ति तथा सहन सामथ्र्य बढ़ाइए। जहाँ तक हो सके, इसे सुन्दर से सुन्दर बनाने का प्रयत्न कीजिए। अपने कमरे में अपोलो की अथवा वीनस की एक छोटी सी मूर्ति प्रेरणा हेतु रखिए। प्रत्येक व


05-Sep-2015
सम्पादकीय

सम्पादकीय 05 सितम्बर (सम्पादकीय )

अपने यहाँ चार पुरुषार्थ गिनाए गए हैं, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। इन चारों का निर्वचन ईशावास्योपनिषद के प्रथम श्लोक मंे है। ईश शब्द ’ईट’ धातु से बना हुआ है। मतलब यह है कि जो सभी को अनुशासित करता है या जिसका आधिपत्य सब पर है, वही ईश्वर है। उसे न मानना स्वयं को भी झुठलाना है। जो अपने को न


11-Aug-2015
सम्पादकीय

सम्पादकीय 10 अगस्त (सम्पादकीय )

चक्रवर्ती सम्राट को पुण्योपार्जन का शौक कुछ ऐसा लगा कि प्रजा से पुण्य खरीदने लगे! ऐसी तराजू बनाई गई जिसमें किसी के पुण्यों के लेखों का कागज एक पलडे़ में रखते ही दूसरे पलडे़ में उसके बराबर स्वर्ण मुद्राएं तुल जाती! विधि ने अपना काम किया, पड़ौस के राजा ने आक्रमण किया, परिणाम में हार मिल


06-Aug-2015
सम्पादकीय

सम्पादकीय 06 अगस्त (सम्पादकीय )

एक बार देवताओं ने विष्णु भगवान से कहा ‘‘हमें स्वर्ग से भी किसी अच्छे लोक में भेज दीजिये... विष्णु ने उन्हें मनुष्य लोक भेज दिया और कहा कि वहांँ ’’सुख और सौंदर्य तभी दृष्टिगोचर होगा, जब तुम लोग करूणा जीवित रखोगे और सेवाधर्म का रसास्वादन करोगे।’


04-Aug-2015
सम्पादकीय

सम्पादकीय 04 अगस्त (सम्पादकीय )

फोन की घंटी बजी............दूसरी ओर से आवाज आयी! भाई सा, जनरल हाॅस्पीटल के कम्पाउण्ड में एक अज्ञात व्यक्ति मूर्छित अवस्था में मल-मूत्र से सना पड़ा है। लावारिश एवं अचेतन अवस्था में होने के कारण हाॅस्पीटल स्टाफ एवं अन्य कोई भी इस बेसहारा की ओर ध्यान नहीं देता। लगभग एक सप्ताह से यह इसी जगह पड़ा है..


01-Aug-2015
सम्पादकीय

सम्पादकीय 01 अगस्त (सम्पादकीय )

रियासत काल की बात है। एक महारानी को एक दिन नदी-विहार की सुझी। आदेश मिलने की देर थी, तत्परता के साथ उपवन में व्यवस्था की गई। महारानी ने जी भर विहार का आनन्द लिया। दिन ढलने लगा और शीतल हवाएं चली तो महारानी को सर्दी अनुभव हुई, उन्होंने सेविकाओं को अग्नि का प्रबन्ध करने का आदेश दिया। सेविकाओं ने काफी


30-Jul-2015
सम्पादकीय

सम्पादकीय 30 जुलाई (सम्पादकीय )

आप स्वयं को आदर तभी दे पाएँगे, जब आप यह जान पाएँगे कि मैं कौन हूँ? ’मुझे अपने आपको जानना चाहिए, तभी मैं खुश रह पाऊँगा वरना मेरा विकास कैसे होगा?’ आप में स्वयं के प्रति आदर है तो आप जल्द से जल्द सत्य जानना चाहेंगे। स्वयं का आदर करना बहुत मुख्य बात है क्योंकि लोगों के साथ अच्छे व्यवहार